हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है

हिंदी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है।          हिंदी -- भाषा का महत्व।

Study smart website



भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को अनुच्छेद 343 के तहत देश की अधिकारी भाषा के रूप में 1949 में अपनाया। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ - साथ हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा भी है। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी  दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है।                                       हर साल पूरे भारत में  14 सितंबर  का दिन हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1918 में  गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को  राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था  और 14 सितंबर 1949 के दिन संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया की हिंदी भारत की  राजभाषा होगी।                                       आजकल के समय में  अंग्रेजी की ओर बहुत लोग झुक रहे है। क्योंकि अंग्रेजी का प्रयोग दुनियाभर में किया जाता है। जबकि हिंदी को लोग भूलते रहे है तो  हिंदी दिवस मनाने का प्रमुख कारण है कि हिंदी भाषा की संस्कृति को बढ़ावा देना और हिंदी भाषा को  फैलाना है। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है।                                                                                हिन्दी --भाषा का महत्व                        वैदिक संस्कति, प्रकृति, पाली,अपभ्रंश आदि पड़ावों से गुजरकर हिंदी भारतवासियों के दिल की धड़कन बनी। देश की प्रगति के गर्भ में राष्ट्र भाषा हिन्दी का विशेष महत्व रहा है। हालांकि सभी सम्मानित भाषाएं संस्कृति भाषा की देनदार है, जिस देश की अपनी कोई भाषा नहीं है वह देश गूंगा व बहरा है। एक समय था देश में संवाद की भाषा संस्कृत थी। यदि भाषा की भाषाओं का इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि हिंदी किसी न किसी रूप में अपनी भाषाओं को अपना सहयोग प्रदान करती रही है। समय के साथ - साथ भासा ने भी करवट बदली और कार्यालयों में कार्यों का माध्यम विदेशी भाषा अंग्रेजी बन गई। यह क्रम सदियों से चल रहा है। अंग्रेजी बोलकर हम स्वयं को  महान बनने का भ्रम पाले बैठे हैं। अंग्रेज़ जानते थे कि किसी भी देश को लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखने के लिए जरूरी है कि वहां की भाषा को छीनकर अपनी भाषा और चिंतन थोप दिया जाए। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने स्पष्ट कहा है--                  निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।         बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत  न  हिय को शूल।।         विश्व के सभी देशों की अपनी एक भाषा ही ऐसी है जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता रखती हैं। हिन्दी पूर्ण रूप से सक्षम और समर्थ भाषा है। जहां तक हिंदी बोलने वालों का प्रश्न है तो हिंदी आज विश्व की नंबर एक भाषा है। हालांकि विश्व के कुछ देशों ने यह प्रचार करने का प्रयास किया कि अंग्रेजी ही विश्व की श्रेष्ठ व बड़ी भाषा हैं लेकिन उनके इस प्रचार में दम नहीं है क्योंकि अंग्रेजी भाषा अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के कुछ हिस्सों में ही बोली जाती है। इस हिसाब से उसे श्रेष्ठ और बड़ी भाषा कैसे माना जा सकता है। इनमें भी ब्रिटेन में कई क्षेत्र ऐसे है जहां के लोग अंग्रेजी नहीं समझ पाते यदि समझ भी जाए हैं तो बोल नहीं पाते।                            हमारे संविधान में हिंदी को भारत की संघ भाषा कहा गया है। उसे राजभाषा का दर्जा भी दिया गया है लेकिन सरकार का ज्यादातर काम हिंदी के बजाय अंग्रेज़ी में हो रहा है अकेले भारत में सत्तर करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी बोलते और समझते है। भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, बर्मा, अफगानिस्तान, फिजी, मरिशास जैसे देशों में भी हिंदी बोली जाती है। इसके अलावा विश्व भर में फैले करीब दो करोड़ लोग भी हिंदी बोलते हैं। हिंदी भाषियों की संख्या इस प्रकार करीब एक अरब है। हिन्दी की शब्द सम्पदा लगभग सात लाख शब्दों की है जबकि अंग्रेज़ी की तीन ही लाख है।                                                                                आज देश को स्वतंत्र हुए कई वर्ष हो गए है लेकिन हम अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए आज भी अंग्रेज़ी के मोहताज है। यह सब हमारी मानसिकता दासता का प्रमाण है। वर्तमान  परिवेश में घुटन, बिखराव एवम् जो टकराव दृष्टिगोचर होता है उसका स्पष्ट कारण राष्ट्र भाषा हिन्दी की उपेक्षा किया जाना है  समाज में भाषा को लेकर जो असंतोष, विघटन व भेदभाव की खाई खूदती जा रही है। आगे चलकर इसे पाटना  मुश्किल ही नहीं घातक भी होगा। एक तरफ अंग्रेज़ी के पक्षधरों की संख्या दिन दूनी रात चौगनी बढ़ती ही जा रही है वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में वे लोग हैं जो अंग्रेज़ी के पास तक नहीं पहुंच सकते। महानगरों की गली - गली में अंग्रेजी सीखने - सीखने की दुकानें दिन पर दिन खुलती जा रही है। हिंदी की सर्वत्र उपेक्षा का वातावरण बनता जा रहा है। हिंदी स्नेह, सहयोग, सहानुभूति एवम् संवेदना की भाषा है। इसके माध्यम से किसी भी बात को सहज और सरलता से अभिव्यक्ति किया जा सकता है। आज हमारे छात्र - छात्राओं का सर्वाधिक शोषण अंग्रेज़ी के कारण ही हो रहा है।                                              विश्व स्तर पर जब अटल बिहारी वाजपेई ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना भाषण हिंदी में दिया था तो पूरा विश्व स्तब्ध रह गया था। उस समय उनकी सम्पूर्ण विश्व ने प्रशंसा की थी। देश में जब - जब विदेशी राजनयिक, राष्ट्रध्यक्ष और आते हैं तो वे अपनी भाषा में विचार व्यक्त कर गौरव का अनुभव ही नहीं करते बल्कि वह यह भी सिद्ध करते हैं कि  उन्हें अपनी मातृ भाषा या भाषा से उतना ही प्रेम है जितना कि एक देशभक्त को अपने देश से प्रेम है। भले ही लोग हमारे यहां हिंदी छोड़कर अंग्रेज़ी की ओर भाग रहे हैं लेकिन संसार के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ने वालों की संख्या बढ़ रही है। हिंदी सर्वाधिक प्रभावशाली समर्थ एवम् समृद्ध भाषा है।           भारत में अंग्रजी मोह के चार प्रमुख कारण हैं। इनमे पहला है स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश पर राजकीय प्रणाली का अंग्रेज़ी में होना। इस कारण लोगों की मानसिकता पर अंग्रेज़ी का भूत सवार था। उच्च पदों पर तैनात अधिकारी दैनिक व्यवहार में हिंदी अपनाने को तैयार ना थे। इसके अतिरिक्त दूसरा कारण था शासन तंत्र के विशेष व बड़े पदों पर अहिंदी भाषी लोगों का वर्चस्व होना था। उन्होंने हिंदी की वकालत करने वाले लोगों का लोहा लिया जिसमें वे सफल भी रहे। इसके अतिरिक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूरी कर दी। उन्होंने घोषणा कर दी कि जब तक एक भी राज्य हिन्दी नहीं चाहेगा तब तक उसे राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जाएगा।                                                                        हिन्दी की दुर्दशा के लिए हमारी शिक्षा पद्धति और शासन व्यवस्था दोनों जिम्मेदार हैं। अगर देश पर हावी अंग्रेजियत को हटाना है तो शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाना होगा । पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य करना होगा। प्राथमिक शिक्षा के बाद ही अंग्रेज़ी को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने से जब बच्चा अपनी प्राथमिक शिक्षा अपनी भाषा में प्राप्त करेगा तो उस भाषा के प्रति उसका मोह और सम्मान आजीवन बना रहेगा।

हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🙏



Comments

Popular posts from this blog

About RDX

वाल्ट डिज्नी ( मिकी माउस और डिज्नी लैंड को बनाने वाले की कहानी)